शनिवार, 18 अक्टूबर 2008

दिल्ली के नाम

इन दिनों दिल्ली की धड़कनें गर्म हैं ...हवाओं में शरारत और फिजाओं मे खनक कुछ इस कदर बढ़ रही है कि ..हर समझदार शरीफ फिलहाल सहमा -सहमा है ._शेयर फेयर रहे नहीं , टिकिट मिलेगा कि नहीं , कल क्या होगा .....संशय और ऊहापोह ...कल की दिल्ली किसी होगी ...सब खैरियत रहे __एक दुआ दिल्ली के नाम ।

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